देश के युवा विकसित भारत@2047 के संवाहक : राज्यपाल

गंगटोक : राजभवन स्थित आशीर्वाद हॉल में आज ‘राष्ट्रीय एकता यात्रा– 2025’ के समापन समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर सिक्किम के राज्यपाल Om Prakash Mathur मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में  ब्लैक कैट डिविजन के जीओसी मेजर जनरल एमएस राठौड़ (एसएम, वीएसएम,) सेना के अधिकारी, प्रतिभागी छात्रगण एवं अन्य अतिथि शामिल हुए। यह यात्रा भारतीय सेना की मिशन सद्भावना के अंतर्गत  आयोजित की गई है, जो 9 अगस्त 2025 को गंगटोक लीविंग हेलिपैड से शुरू  होकर 17 अगस्त 2025 को  समाप्त हुई। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों के युवाओं को देश की मुख्यधारा से जोड़ना और उन्हें भारत की विविधता, तकनीकी प्रगति एवं नवाचार से परिचित कराना था।

इस यात्रा में सिक्किम के सीमावर्ती गांवों से चुने गए 20 प्रतिभाशाली छात्र, जो इंजीनियरिंग क्षेत्र से जुड़े हैं, ने बेंगलुरु, मैसूरु और हैदराबाद जैसे प्रमुख तकनीकी एवं सांस्कृतिक नगरों का भ्रमण किया। उन्होंने इसरो, इन्फोसिस, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, बायोकॉन तथा हैदराबाद आईटी हब जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का दौरा किया और उद्योग जगत के अग्रणी विचारकों से प्रत्यक्ष संवाद किया।

समारोह में अपने संबोधन में राज्यपाल श्री ओम प्रकाश माथुर ने कहा कि यह यात्रा केवल सिक्किम के  सीमावर्ती क्षेत्र के बच्चों के लिए एक शैक्षणिक भ्रमण नहीं थी, बल्कि यह एक दृष्टिकोण है, जिसने युवाओं को भारत की आत्मा से जोड़ने का कार्य किया है। उन्होंने युवाओं को विकसित भारत एट 2047  का  संवाहक बताते हुए इसके लक्ष्य प्राप्ति के लिए  योगदान देने का  आह्वान किया है।

उन्होंने कहा कि सिक्किम के ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर छात्रों को पहली हवाई यात्रा, पहली मेट्रो यात्रा और पहली बार शहरी केंद्रों के भ्रमण का अवसर भी भारतीय सेना के  ब्लैक  कैट डिविजन के प्रयासों से ही संभव हुआ है जिसमें सदभावना मिशन के तहत “राष्ट्रीय एकता यात्रा”  के माध्यम से देश के विभिन्न भागों की संस्कृति, भाषा से परिचय करवाया जा रहा है। यह यात्रा केवल एक भ्रमण नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, राष्ट्रीय गर्व और सामूहिक जिम्मेदारी की भावना विकसित करने का माध्यम है।

सेना ने जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़कर यह संदेश दिया कि राष्ट्र सेवा केवल सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के उत्थान और युवाओं के भविष्य निर्माण में भी उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। यह प्रयास बच्चों की सोच को विस्तृत करती है और उन्हें भारत की अखंडता का साक्षात अनुभव कराती है।

राज्यपाल ने कहा कि सैनिक केवल सीमा की रक्षा नहीं करता, वह उम्मीदों को संजोता है और पीढ़ियों का भविष्य संवारता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिक न केवल सुरक्षा का प्रहरी है, बल्कि समाज का संरक्षक और दीपक भी है। राज्यपाल ने छात्रों से आग्रह किया कि वे इस अनुभव को अपने समुदायों तक पहुंचाएं और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने नवाचार, स्टार्ट-अप संस्कृति और डिजिटल परिवर्तन को अपनाने का आह्वान किया।

राज्यपाल ने मेजर जनरल एमएस राठौड़ एवं भारतीय सेना को इस पहल के लिए विशेष धन्यवाद दिया और कहा कि यह प्रयास राष्ट्रीय एकता, सद्भाव और समावेशिता को नई ऊंचाइयां प्रदान कर रहा है। समारोह का समापन राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ हुआ, जिसमें युवाओं को अपने ज्ञान और अनुभव को समाज के हित में लगाने का संदेश दिया गया।

समारोह के दौरान छात्रों द्वारा राष्ट्रीय एकता यात्रा का वृत्तांत प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने अपने अनुभवों, सीख और प्रेरणाओं को साझा किया। इस दौरान जीओसी मेजर जनरल द्वारा  राज्यपाल को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। इसके पश्चात माननीय राज्यपाल ने भी छात्रों को विशेष स्मारिका  प्रदान किए, जो उनके योगदान और सहभागिता की सराहना का प्रतीक थे।

इससे पूर्व भी, इसी कड़ी में भारतीय सेना द्वारा आयोजित दो कार्यक्रमों  का आयोजन राजभवन में आयोजित  किया जा चुका है  जिसमें ‘प्रोजेक्ट सद्भावना’ के अंतर्गत राष्ट्रीय एकता यात्रा 2024 का समापन समारोह  तथा “बुद्धा सर्किट” यात्रा को हरी  झंडी  दिखाकर रवाना किया गया था  जो भारतीय सेना के सद्भावना मिशन की निरंतरता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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