गंगटोक, 09 सितम्बर । सिक्किम सरकार के शिक्षा, भूमि राजस्व व आपदा प्रबंधन मंत्री केएन लेप्चा ने आज ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड परियोजना अभियान दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर स्थानीय एक होटल में आयोजित फ्लैग ऑफ कार्यक्रम में वन व पर्यावरण मंत्री कर्मा लोदे भूटिया के अलावा मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव जैकब खालिंग, जीएमसी डिप्टी मेयर श्रीमती छिरिंग पाल्देन भूटिया, पाकिम डीसी ताशी चोफेल, यांगांग एसडीएम छिरिंग नॉर्गेयाल थींघ, तथांगचेन पार्षद पेमा लामथा, एनडीएमए एवं एसडीएमए के अधिकारी और अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।
गौरतलब है कि रवाना किया गया अभियान दल उत्तर-पश्चिम सिक्किम के दक्षिण ल्होनाक और थांगु गांव के ऊपर स्थित लेक शाको-चो में शोध व अनुसंधान कर जानकारियां जुटाएगा। बताया गया है कि 5200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित दक्षिण ल्होनाक झील क्षेत्र में सबसे तेजी से विस्तार करने वाली झील है। इसे संभावित ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित किया गया है। वहीं, शाको-चो झील भी ग्लेशियल लेक फ्लड के मामले में संवेदनशील क्षेत्र है। ऐसे में विभिन्न शोध एजेंसियों ने इन झीलों को स्थानीय आबादी के लिए खतरनाक माना है।
जानकारी के अनुसार, आज रवाना हुए 31 सदस्यीय अभियान दल में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और स्विस विकास एवं सहयोग एजेंसी के अधिकारी शामिल हैं। दो टीमों में विभाजित ये सदस्य झीलों की स्थिति के आकलन के साथ ही ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड की रोकथाम हेतु उपायों का मूल्यांकन करेंगे। इनके रवाना होने से पहले मंत्री लेप्चा ने सभी को स्कार्फ भेंट किये।
इस अवसर पर मंत्री ने अभियान दल की रवानगी को ऐतिहासिक बताते हुए सभी को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दे से अवगत कराया जो प्राकृतिक आपदाओं के लिए उत्प्रेरक हैं। उन्होंने कहा कि आज दुनिया पर ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है, जिसकी गंभीरता के कारण ही यह देश में आयोजित हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन का मुख्य विषय भी है। वहीं, मंत्री ने अभियान दल से यात्रा के हर चरण में सावधानी बरतने का अनुरोध किया और उनकी सफलता हेतु शुभकामनाएं दी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि टीम निश्चित रूप से आसन्न खतरे की रोकथाम हेतु उपाय विकसित करेगी। इसके अलावा, भूमि राजस्व व आपदा प्रबंधन आयुक्त सह सचिव अनिल राज राई ने महीनों की योजना के बाद परियोजना के पूरा होने पर टीम को धन्यवाद देते हुए उक्त दोनां झीलों के अध्ययन और मूल्यांकन के महत्व पर जोर दिया।
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