अनुच्छेद 371एफ को कमजोर करना सिक्किम की पहचान पर हमला : छितेन ताशी भूटिया

गंगटोक : हिमालयी राज्य सिक्किम को प्राप्त विशेष संवैधानिक अधिकार अनुच्छेद 371एफ के संबंध में प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के मुख्य सलाहकार और पूर्व मंत्री Tseten Tashi Bhutia ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इसके बगैर सिक्किम राज्य “एक बड़ा शून्य” होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि 371एफ का प्रावधान कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि 1975 में सिक्किम के भारत में विलय का आधार है।

अपने एक बयान में भूटिया ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हाल के वर्षों में कानून, प्रशासनिक निर्णयों या अदालती फैसलों के माध्यम से इन सुरक्षाओं को कमजोर करने के प्रयास किए गए हैं। ऐसे में, 2025 में सिक्किम राज्य बनने के 50 साल पूरे होने का जश्न गर्व से मनाने के बजाय, कई लोग अब भय और असुरक्षा के साथ जी रहे हैं। उन्होंने 1975 के बाद से हुए जनसांख्यिकीय परिवर्तनों की ओर इशारा करते हुए दावा किया कि पड़ोसी देशों से हुए प्रवास ने राजनीतिक प्राथमिकताओं को बदल दिया है और सिक्किम की अर्थव्यवस्था के अधिकांश हिस्से पर गैर-स्थानीय लोगों का नियंत्रण हो गया है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में बाहरी लोगों का स्थायी रूप से बसना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। उनके अनुसार, कुछ स्थानीय राजनेताओं ने वोट बैंक की राजनीति के लिए मुफ्त की पेशकश और दीर्घकालिक जोखिमों को नजरअंदाज करते हुए इस प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है।

इसके साथ ही, भूटिया ने निर्णायक कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए राज्य और केंद्र सरकार की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि सिक्किम का लोकसभा और राज्यसभा में केवल एक-एक प्रतिनिधि है, जिससे राज्य का दिल्ली में सीमित प्रभाव है। उन्होंने कुछ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों पर राजनीतिक नेताओं के साथ मिलीभगत करके जनकल्याण के बजाय निजी लाभ के लिए काम करने का आरोप लगाया।

मौजूदा समय में तत्काल कार्रवाई का आह्वान करते हुए, भूटिया ने न्यायपालिका, सांसदों और संवैधानिक प्राधिकारियों से 1975 के विलय समझौते की मूल भावना को बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि अतीत में अदालती फैसले कभी-कभी राज्य प्राधिकारियों की भ्रामक जानकारी के कारण सिक्किम के लोगों के हितों के विरुद्ध गए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसा ही चलता रहा, तो इससे जनता का विश्वास कम होने के साथ जातीय सद्भाव को नुकसान पहुंच सकता है और सिक्किम की चीन, भूटान और नेपाल से लगती सीमाओं को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हो सकता है।

ऐसे में, भूटिया ने सभी सिक्किमी नागरिकों से अनुच्छेद 371एफ की रक्षा के लिए एकजुट और सतर्क रहने का आह्वान करते हुए नीति निर्माताओं को यह भी याद दिलाया कि इसे कमजोर करने से न केवल सिक्किम की पहचान को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि भारत के संघीय ढांचे और राष्ट्रीय हित को भी खतरा होगा। भूटिया ने कहा, अनुच्छेद 371एफ को कमजोर करना न केवल सिक्किम की पहचान पर हमला है, बल्कि यह भारत की संघीय अखंडता और राष्ट्रीय हित के लिए भी खतरा है।

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