इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र को कुचला, स्वतंत्रता का गला घोंटा : मनोहर लाल खट्टर

पटना । बिहार विधानसभा स्थित विस्तारित भवन सभागार में “आपातकाल: लोकतंत्र का काला अध्याय” संगोष्ठी का आयोजन किया गया। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी व विजय सिंह समेत तमाम भाजपा के नेता मौजूद थे। मनोहर लाल खट्टर ने 1975 में लगाए गए आपातकाल को लोकतंत्र पर हमला बताते हुए कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र पर गहरा आघात था, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह सत्ता की लालसा नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों का गला घोंटने वाला निर्णय था।

उन्होंने कहा, अपना देश 78 साल पहले 1947 में स्वतंत्र हुआ। अनगिनत नौजवान आजादी के लड़ाई में देश के लिए शहीद हुए। हमने लोकतंत्र अपनाया इसका अर्थ है लोगों द्वारा लोगों के लिए लोगों की सरकार। आजादी के बाद एक दल था जिसका नाम था कांग्रेस जिसने अधिकारीतंत्र के तहत अपनी सरकार बना ली। पांच साल बिना चुनाव के सरकार चली।

मनोहर लाल खट्टर ने कहा, विपक्ष में कुछ लोग आए इसलिए जनसंघ बनाया गया। पहली बार 1967 के बाद लोगों ने जाना कि लोकतंत्र क्या होता है। कांग्रेस ने 1971 में झूठ तंत्र के आधार पर चुनाव जीतने की कोशिश की थी। हद तो तब हुई जब खुद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने धोखे से चुनाव जीतने का काम किया। उस समय के न्यायपालिका ने जस्टिस खन्ना ने 12 जून 1975 को चुनाव को ही खारिज कर दिया।

आगे खट्टर ने कहा, उन्होंने लोकतंत्र को कभी माना ही नहीं। और अपने आस पास के थोड़े से लोग से बात करके आपातकाल घोषित किया गया। उन्होंने अपने मंत्रिमंडल से बात भी नहीं की और एक दिन पहले उनके सामने फाइल रख दी गई की कि साइन करो। उन लोगों को भी लगा कि हमारी सरकार चली जाएगी इसलिए उनलोगों ने भी साइन कर दी। फिर जब सूची तैयार की गई की किसको किसको जेल में डालना हैं जो कांग्रेस के खिलाफ के बोलते थे। उनको 25 की रात को सबको उठाकर जेल ने डालने का काम किया। जिसमें सबसे पहला नाम जेपी का नाम था। फिर सभी लोगों को लगातार गिरफ्तार किया गया। अगर इंदिरा गांधी इतनी अच्छी होती तो दोबारा चुनाव कराती और फिर जीतकर सरकार बनाती। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

विजय सिन्हा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने उस तानाशाही के विरुद्ध बड़ी लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने याद दिलाया कि सुशील कुमार मोदी और उनके साथियों का खून बहा था। बिहार की जनता को यह संकल्प लेना होगा कि हिटलरशाही फिर कभी वापस न आए। कांग्रेस की तानाशाही और राजद का जंगलराज आज एक हो गए हैं। हम फिर से इनके विरुद्ध संघर्ष के लिए तैयार हैं।

सम्राट चौधरी ने आपातकाल में पत्रकारों पर हुए अत्याचारों का जिक्र करते हुए कहा, उस दौर में बिना किसी एफआईआर के पत्रकारों को जेल में ठूंसा गया। आज जब देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास कर रहा है तो कुछ लोगों को यह अच्छा नहीं लग रहा। जो लोग संविधान की किताब लेकर घूम रहे हैं, उनकी पूर्व पीढ़ियों ने उसी संविधान को कुचलने का काम किया था। उन्होंने घोषणा की कि 28 जून तक पूरे बिहार के जिला और पंचायत स्तर तक संगोष्ठियां आयोजित कर आपातकाल की सच्चाई युवाओं तक पहुंचाई जाएगी।

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