गंगटोक, 08 सितम्बर । सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री तथा प्रमुख विपक्षी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) अध्यक्ष पवन चामलिंग ने मौजूदा सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी की सरकार की तुलना पूर्ववर्ती सिक्किम संग्राम परिषद सरकार से करते हुए आज कहा कि इन दोनों शासन में कोई फर्क नहीं है और एसएसपी की तरह ही मौजूदा एसकेएम सरकार में भी तानाशाही प्रवृत्ति शीर्ष पर है। ऐसे में उन्होंने राज्यवासियों से लोकतंत्र और स्वतंत्रता के मूल्यों की रक्षा हेतु एकजुट होकर खड़े होने का आह्वान किया है।
जनता के नाम अपने एक संदेश में एसडीएफ नेता ने कहा, 31 साल पहले 1992 में आज ही के दिन मैंने राज्य में लोकतंत्र स्थापना हेतु अपना विरोध दर्ज करते हुए सिक्किम विधानसभा में एक मोमबत्ती जलाई थी। उस समय सत्ताधारी सिक्किम संग्राम परिषद की तानाशाह सरकार के शासन में लोगों को बोलने की आजादी नहीं थी। उन्होंने कहा, उस समय मैं सदन में विपक्ष का अकेला सदस्य था और मुझे आमलोगों के मुद्दे उठाने नहीं दिया गया। ऐसे में मैंने प्रतीकात्मक बदलाव की क्रांति के रूप में विधानसभा में एक मोमबत्ती जलाई जो राज्यवासियों के लिए एक संदेश बन कर इतिहास में दर्ज हो गया।
चामलिंग ने कहा कि एसएसपी शासन के दौरान हमने सरकारी तानाशाही के खिलाफ संघर्ष करते हुए उनकी दुर्नीतियों का पुरजोर विरोध किया। उस दौरान मेरे खिलाफ टाडा कानून के तहत झूठा मुकदमा दर्ज किया गया। ऐसे में मेरी जान पर खतरे को देखते हुए मैं 21 जून 1993 को भूमिगत हो गया। उस समय सत्ताधारी पार्टी के भाड़े के गुंडे और पुलिस हमेशा मेरे पीछे रहती थी, जिसके कारण मुझे तीन महीने तक भूमिगत रहना पड़ा। बाद में 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत मिलने के बाद मैं सिक्किम वापस आया था।
उन्होंने आगे बताया कि इस दौरान मुझे तथा मेरे परिवार को नामची समेत राज्य के किसी भी बाजार में राशन नहीं देने के लिए भी सख्त आदेश दिए गए थे और हमें अपना राशन सिलीगुड़ी से लाना पड़ता था। साथ ही हमसे मुलाकात करने वाले समर्थकों के हाथ-पांव तोड़ने पर पुरस्कार की भी घोषणा की गई थी। इसके अलावा, एसडीएफ पार्टी के किसी साहित्य के साथ यदि कोई सरकारी कर्मचारी पकड़ा जाता तो उसे तुरंत बर्खास्त कर दिया जाता था। ऐसे में हमने सिक्किम के लोगों को इस तरह के तानाशाही शासन से मुक्त कराने के लिए कड़ी मेहनत की और अपनी जान की बाजी लगा दी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि एसडीएफ सरकार का 25 साल का कार्यकाल शांतिपूर्ण था और हमने सिक्किम तथा यहां के लोगों के लिए हमेशा सुरक्षा, लोकतांत्रिक माहौल, समानता व न्यायिक मूल्यों वाला सामाजिक ढांचा सुनिश्चित किया। उनके अनुसार, सिक्किम में शांति लाने के लिए हमने एक सत्तावादी और हिंसक शासन के साथ किस तरह का संघर्ष किया, इसकी जानकारी आज भी सभी को नहीं है। यह एक ऐसी शांति थी जो लंबी लड़ाई के बाद हासिल की गई थी। लेकिन दुर्भाग्य से, उसी प्रकार की तानाशाही प्रवृत्ति वाली सरकार आज शासन के शीर्ष पर है।
पवन चामलिंग ने कहा, 2019 के बाद से एसकेएम सरकार के तहत सिक्किम में बोलने की कोई स्वतंत्रता नहीं है। लोग अपनी बात सार्वजनिक रूप से या सोशल मीडिया पर भी व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं। शासन के खिलाफ बोलने पर सरकारी कर्मचारी को या तो तुरंत बर्खास्त कर दिया जाता है या स्थानांतरित कर दिया जाता है। वहीं, मौजूदा सरकार में हत्या के मामले में भी लोग न्याय की उम्मीद नहीं कर सकते। छात्र नेता पदम गुरूंग के मामले में ही उनके परिजनों को अभी भी न्याय का इंतजार है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सरकार अपराधी को बचाने की पूरी कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि पिछले 4 वर्षों में सबसे बड़ी क्षति यह है कि विरोधी दलों के बीच स्वस्थ संवाद ध्वस्त हो गया है, जो लोकतंत्र की नींव है। इतना ही नहीं, राज्य विधानसभा में भी सच्चाई से झूठ का बोलबाला है। इसी के तहत एसकेएम सरकार के गठन के तुरंत बाद विधानसभा में सदन की मर्यादा को नष्ट करते हुए मेरे खिलाफ असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया गया। लेकिन आज तक सदन अध्यक्ष द्वारा इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। यह लोकतंत्र की गिरावट के साथ-साथ सदन के अंदर और बाहर बढ़ती असहिष्णुता का संकेत है।
ऐसे में SDF नेता ने 31 वर्ष पहले के अपने विरोध को आज और अधिक प्रासंगिक बताते हुए कहा कि जिन परिस्थितियों में मैंने सिक्किम विधानसभा में मोमबत्ती जलाई थी, वर्तमान में उससे भी अधिक गंभीर स्थिति फिर से उभर आई है। हालांकि, आज अंतर यह है कि इस बार लोगों में डर अधिक है। उनके अनुसार, एसडीएफ पार्टी सिक्किम में लोकतंत्र की रक्षा के लिए खड़ी है, लेकिन यह लोगों पर निर्भर है कि वे आगे आएं और अपने भीतर स्वतंत्रता की लौ को फिर से जगाएं।
उन्होंने कहा, राज्य के नागरिक के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन मूल्यों की रक्षा करें जिन पर हमारा राज्य और हमारा राष्ट्र खड़े हैं। अन्याय व घृणा, अधिनायकवाद और उत्पीड़न के सामने तटस्थ या निष्क्रिय रहना हमें बिगड़ती स्थिति के दोष से माफ नहीं करता, बल्कि इसमें समान दोषी बनाता है। ऐसे में यह आमलोगों पर निर्भर है कि वे लोकतंत्र की उस लौ को आगे बढ़ाएं ताकि सिक्किम का भविष्य फिर कभी अंधकार में न डूबे और इसके बजाय हमेशा लोकतंत्र, न्याय, समानता और स्वतंत्रता की रोशनी से रोशन रहे।
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