गंगटोक : सिक्किम में वन विभाग के एक कर्मचारी का वेतन रोकने का आदेश देने के मामले में विपक्षी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) ने मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) को घेरते हुए राज्य की वित्तीय और प्रशासनिक अक्षमता पर सवाल खड़े किये हैं। गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें एक वन कर्मचारी को साल भर से वेतन न मिलने की सूचना मिलने पर मुख्यमंत्री संबंधित विभाग के अधिकारियों को उसका वेतन रोकने का निर्देश दे रहे हैं।
एसडीएफ के प्रचार महासचिव दिव्य शर्मा ने इस संबंध में एक विज्ञप्ति में कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं गृह विभाग के प्रभारी मंत्री हैं, इसलिए यदि उक्त अधिकारी ने सरकार के नियमों और आदेशों का उल्लंघन किया होता, तो विभागीय प्रक्रिया के तहत कार्रवाई करनी उचित होती। हालांकि, सार्वजनिक आदेश देना और नाटकीय शैली अपनाना गंभीर जिम्मेदारी की कमी का उदाहरण है। एसडीएफ का मानना है कि इस तरह के वीडियो का वायरल होना अपने आप में सरकार के वित्तीय अनुशासन और प्रशासनिक व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करता है।
दिव्य शर्मा ने कहा, जिस कर्मचारी को वेतन नहीं मिला है, वह एक वन अधिकारी के सरकारी वाहन का चालक है। कार्मिक विभाग को किसी भी परिस्थिति में नियमित या अस्थायी रूप से नियुक्त कर्मचारी का वेतन रोकने का अधिकार नहीं है। इसके बावजूद, मुख्यमंत्री द्वारा इस प्रकार का सार्वजनिक आदेश उनकी वर्गवादी मानसिकता दर्शाने के साथ ही सरकार के वित्तीय अनुशासन और प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न भी खड़ा करता है।
दिव्य शर्मा ने कहा कि कर्मचारियों की शिकायत है कि विभाग के नियमित और अस्थायी कर्मचारियों को इस वर्ष पांच माह का वेतन नहीं मिला है। यह भी शिकायत की गई है कि लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों को पिछले माह का आधा वेतन ही मिला है। इससे स्पष्ट है कि निम्न श्रेणी के कर्मचारियों का वेतन या मजदूरी समय पर न दे पाना सरकार के वित्तीय प्रबंधन की अक्षमता है। ऐसे में, एसडीएफ का मानना है कि वेतन भुगतान में देरी के लिए स्वयं मुख्यमंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए, क्योंकि वे वित्त विभाग के प्रभारी मंत्री हैं।
एसडीएफ का दावा है कि मुख्यमंत्री गोले द्वारा इस तरह के सार्वजनिक आदेश से सरकारी अधिकारियों और विभागीय कर्मचारियों के मान-सम्मान को गहरी ठेस पहुंची है। कर्मचारियों को वेतन या मजदूरी देने का अधिकार वित्त मंत्रालय को है। कार्मिक विभाग को कोई भी नियुक्ति करने से पहले वित्त विभाग की सहमति अवश्य लेनी चाहिए। इसलिए एसडीएफ पार्टी का मानना है कि मुख्यमंत्री जो प्रभारी वित्त मंत्री भी हैं, द्वारा सार्वजनिक आदेशों के माध्यम से सरकार की कमजोरियों को छिपाने और विभागीय कर्मचारियों को दोषी ठहराना गंभीर रूप से गैर-जिम्मेदाराना है।
शर्मा ने आगे कहा कि एसडीएफ पार्टी राज्य की बिगड़ती आर्थिक स्थिति और वित्तीय अक्षमता पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है। साथ ही, पार्टी कानूनी रूप से काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली किसी भी सार्वजनिक टिप्पणी की कड़ी निंदा करती है। सरकार को निम्न श्रेणी के कर्मचारियों को समय पर वेतन न दे पाने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए सभी कर्मचारियों को समय पर वेतन, वेतन वृद्धि, पेंशन तथा अन्य अधिकार एवं लाभ प्रदान किया जाना चाहिए।
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