अपनी भाषा और संस्कृति को बचाना ही राष्ट्र को बचाना है : अनित थापा

बिजनबाड़ी : गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के मुख्य कार्यकारी अनित थापा ने आज कहा कि अपनी भाषा और संस्कृति को बचाना ही राष्ट्र को बचाना है। ऐसे में थापा ने अपने सभी सभासदों को अपने-अपने क्षेत्रों में दुकानों या अन्य सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में नेपाली भाषा में आवश्यक रूप से साइन बोर्ड लिखा जाना सुनिश्चित करने का अल्टिमेटम भी दिया।

नेपाली नववर्ष समारोह के उपलक्ष्य पर आज बिजनबाड़ी में आयोजित समारोह के मंच से थापा ने जीटीए सभासदों को अल्टीमेटम देते हुए कहा, भाषा और संस्कृति को बचाना ही राष्ट्र को बचाना है। मैंने एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि नगरपालिकाओं से लेकर पंचायत क्षेत्रों तक सभी सार्वजनिक बोर्ड नेपाली में लिखे जाने चाहिए, लेकिन हमारे नेताओं ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया।

उन्होंने आगे कहा, नेपाली में बोर्ड लिखना छोटी बात है, लेकिन भविष्य में छोटी-छोटी चीजें भी बड़ी बन जाती हैं। दार्जिलिंग, कार्सियांग और कालिम्पोंग गोरखाओं के गढ़ हैं और यहां नेपाली भाषा को जीवित रहना चाहिए। हम तभी जीवित रहेंगे जब भाषा जीवित रहेगी। साइन बोर्ड पर किसी भाषा को जीवित रखना, उस भाषा को संरक्षित करने के बारे में भी है। मैं सभी 45 सभासदों से अनुरोध करता हूं कि वे यह सुनिश्चित करें कि कल से उनकी विधानसभा की दुकानों आदि पर लगे नोटिस बोर्ड भी नेपाली भाषा में लिखे होने चाहिए। मैं एक महीने का समय दे रहा हूं। इस दौरान, युवा शक्ति इसे एक अभियान के रूप में चलाए।

GTA प्रमुख ने इस बात पर भी जोर दिया कि नये साल का जश्न दिल से मनाया जाना चाहिए, कमेटी बनाकर नहीं। उन्होंने कहा, हमें अपना नववर्ष मनाने के लिए एक समिति बनाने की आवश्यकता पड़ती है। जबकि हम हर पहली जनवरी को दिल से नया वर्ष मनाते हैं। हम जाति की बात करते हैं, लेकिन हमें अपनी जाति का नववर्ष मनाने के लिए एक समिति बनाने की जरूरत पड़ती है।

उन्होंने आगे कहा, हम केवल चुनाव के समय जाति का मुद्दा उठाते हैं। राष्ट्र की पहचान को दर्शाने वाले ऐसे दिवसों को दिल से मनाया जाना चाहिए। हमें ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहां हम खुद जश्न मनाएं, न कि कोई समिति बनाकर। जब तक हम स्वयं ऐसे दिवसों को मनाने के लिए माहौल नहीं बनाएंगे, तब तक हमारे राष्ट्र का ताना-बाना धीरे-धीरे खराब होता जाएगा। जाति का मुद्दा सिर्फ चुनाव के समय नहीं, बल्कि दिल से उठना चाहिए। जुनून दिल से आना चाहिए, भावना से नहीं।

आज नववर्ष समारोह को संबोधित करते हुए जीटीए प्रमुख अनित थापा ने इस बात पर जोर दिया कि हम तभी जीवित रहेंगे जब भाषा जीवित रहेगी। जीटीए प्रमुख के प्रचार सचिव ज्योति कुमार मुखिया ने यह जानकारी दी है।

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