विपक्षी पार्टियों के लिए मुस्लिम समाज सिर्फ एक वोट बैंक : जगदंबिका पाल

नई दिल्ली (ईएमएस)। वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। भाजपा सांसद और वक्फ संशोधन विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने इस मुद्दे पर बयान दिया है। उन्होंने इस विधेयक का बचाव करते हुए विपक्ष पर निशाना साधा और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया।

केंद्र सरकार बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश कर सकती है। इससे पहले ही इस विधेयक को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म हो चुका है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस विधेयक को लेकर भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी इस विधेयक के पहले भी विरोध में थी और आगे भी रहेगी। उनका आरोप है कि भाजपा संशोधन के जरिए वक्फ संपत्तियों पर पूरा नियंत्रण चाहती है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने विधेयक के सभी विरोधियों को चुनौती दी है कि वे समिति की रिपोर्ट पढ़ें और बताएं कि इससे मुस्लिम समाज को कहां नुकसान हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड देश के मुसलमानों और अल्पसंख्यकों को गुमराह कर रहा है।

जगदंबिका पाल ने कहा, अखिलेश यादव हमारी 428 पृष्ठों की रिपोर्ट पढ़ लें। हमने 14 संशोधन किए हैं। कोई यह बताए कि इसमें ऐसा कौन-सा प्रावधान है जिससे मुस्लिम समाज को नुकसान होगा? यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की बेहतरी और पारदर्शिता के लिए लाया जा रहा है ताकि इसका लाभ गरीब, पासमांदा मुसलमानों, महिलाओं और बच्चों को मिल सके।

उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर निशाना साधते हुए कहा कि बोर्ड लोगों को भड़काने का काम कर रहा है। रमजान के पवित्र महीने में इबादत के बजाय काली पट्टियां बांधकर विरोध किया गया। ईदगाहों और मस्जिदों को सियासत का अड्डा बना दिया गया। यह पहली बार हो रहा है कि मस्जिदों का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा रहा है।

पाल ने कहा, अखिलेश यादव, डीएमके, बसपा और अन्य विपक्षी पार्टियां मुस्लिम समाज को सिर्फ वोट बैंक के रूप में देखती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की सभी योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यकों को मिल रहा है। मुस्लिम समाज ने इन सबके लिए पीएम का शुक्रिया भी अदा किया है। फिर भी वक्फ विधेयक पर राजनीति की जा रही है।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी स्वयं समिति का हिस्सा थे, फिर भी उन्होंने कहा कि उन्होंने बोर्ड के कहने पर काली पट्टी बांधी थी। पाल ने सवाल उठाया कि क्या कभी किसी पूजा या नमाज में काली पट्टी बांधी जाती है? मस्जिद में ऐसा करना क्या अल्लाह के खिलाफ जाने जैसा नहीं है?

जगदंबिका पाल ने कहा कि मुझे लगता है ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम समाज को गुमराह किया है। इसके बावजूद मैं मुस्लिम भाइयों को बधाई देना चाहूंगा, जिन्होंने गंगा-जुमनी तहजीब के तहत ईद को शांति के साथ मनाया।

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