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आईजीजेएफ ने मुझे जाति और मिट्टी के बारे में बोलने का साहस दिया : Ajoy Edwards

दार्जिलिंग : इंडियन गोरखा जनशक्ति फ्रंट (आईजीजेएफ) के केंद्रीय समन्वयक अजय एडवर्ड्स कहा कि इंडियन गोरखा जनशक्ति फ्रंट ने उन्हें जाति और मिट्टी के बारे में बोलने का साहस और ताकत दी है।

आईजीजेएफ ने एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया कि 22 दिसंबर 2024 को गठित भारतीय गोरखा जनशक्ति मोर्चा के समर्थकों की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है। इस संदर्भ में रविवार को तकदाह तीस्ता घाटी में भारतीय गोरखा जनशक्ति मोर्चा के समर्थन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। समर्थन कार्यक्रम में पार्टी के केंद्रीय संयोजक अजय एडवर्ड्स खुद मौजूद थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संयोजक अजय एडवर्ड्स ने कहा कि हम अपने मुद्दे को लेकर ईमानदार हैं, यही वजह है कि हमने अपनी पार्टी भी छोड़ दी है। इसी तरह कई अन्य नेता अपनी-अपनी पार्टी छोड़कर एकजुट हो गए हैं। एडवर्ड्स का दावा है कि टीएमसी छोड़कर इंडियन गोरखा जनशक्ति फ्रंट में शामिल होने वाले लोग बहुत खुश हैं।

उन्होंने पहले ही कहा है कि जब वे टीएमसी में थे, तब वे जाति के बारे में बात नहीं कर सकते थे, वे मिट्टी के बारे में बात नहीं कर सकते थे, यहां तक कि भारतीय गोरखा डेमोक्रेटिक फ्रंट के झंडे के नीचे बैठकर भी वे जाति और मिट्टी के बारे में बात नहीं कर सकते हैं, वे राजनीति के बारे में बात नहीं कर सकते हैं। शहीदों के त्याग और बलिदान को नकारते हुए वे यह नहीं कह सकते कि उनके पूर्वजों के खून से सींची गई भूमि उनकी है। एडवर्ड्स ने कहा है कि हम पांच डिसमिल जमीन का विरोध नहीं कर सकते, यही कारण है कि अब भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा छोड़ने वालों की संख्या में उछाल आया है।

शामिल होने वाले नेताओं का कहना है कि हम भारतीय गोरखा जनशक्ति फ्रंट के प्रति अपना समर्थन व्यक्त कर रहे हैं। एडवर्ड्स ने कहा कि जब चाय मजदूर अपने अधिकारों और सुविधाओं की मांग के लिए पहाड़ बंद का आह्वान करते हैं, तो भाजपा का नेतृत्व चुप रहता है। भाजपा का मालिक जनता नहीं, बल्कि कोलकाता में बैठा है। भाजपा का नेतृत्व वही करता है जो मालिक कहता है इसी तरह, पहाड़ की अन्य राजनीतिक पार्टियों के मुखिया दिल्ली में बैठे हैं। पहाड़ों में बीजेपी और टीएमसी के पास ए, बी और सी टीमें हैं। टीम ए को चुनावों के दौरान बूथों पर थोड़ा ज़्यादा खर्च मिलता है, टीम बी को थोड़ा कम और टीम सी को और भी कम बूथों पर खर्च मिलता है। सिर्फ बूथ खर्च को नहीं देखना चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि पहाड़ का एक विधायक घूम-घूम कर कह रहा है कि वह हैट्रिक जीतेगा। क्या पार्टी कार्यकर्ता सिर्फ उसे हैट्रिक जिताने के लिए काम करेंगे? हमने अपनी पार्टी छोड़ दी है क्योंकि अब हमें गोरखा समुदाय के जाति मुद्दे को सुलझाना है। इसी तरह, हम सभी ने जातियों और मुद्दों की एकता के लिए टीएमसी समेत कई अन्य पार्टियों को छोड़कर भारतीय गोरखा जनशक्ति मोर्चा का गठन कर एकजुट हुए हैं। आईजीजेएफ अलग गोरखालैंड राज्य के मुद्दे पर गंभीर है। भारतीय गोरखा जनशक्ति मोर्चा किसी से बंधा नहीं है, तृणमूल कांग्रेस या भाजपा से। यह स्वतंत्र है और जाति के मुद्दे पर स्वतंत्र रूप से काम कर सकता है। अगर आईजीजेएफ चाहे तो अगर भाजपा किसी के सामने झुकती है, तो वह सिर्फ गोरखालैंड के सामने ही झुकेगी। प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि हम पूरे गोरखा समुदाय से गोरखा की तरह रहने का आह्वान करते हैं, किसी की कठपुतली की तरह नहीं।

#anugamini #darjeeling

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