पटना । जेल जाने से पहले जनसुराज के सूत्रधार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सोमवार शाम को पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने जेल में आमरण अनशन जारी रखने की बात कही। साथ ही एनडीए सरकार पर हमला भी बोलते हुए स्पष्ट कहा कि यह लाठीतंत्र चलाने वाले नीतीश और भाजपा की सरकार को उखाड़ फेंकने का अभियान है। प्रशांत किशोर ने पटना पुलिस पर बयान दिया। कोर्ट, बेल और पीआर बॉन्ड की बात भी की। गांधी के सत्याग्रह की याद दिलाते उन्होंने नीतीश सरकार को घेरने की कोशिश की। जेल भेजे जाने के कुछ घंटे बाद ही जब उन्हें कोर्ट ने बेशर्त रिहा करने का आदेश दिया तो उन्होंने फिर मीडिया से बात की और कहा कि यह छात्र आंदोलन की पहली जीत है। राज्य में जिस तरह का आंदोलन खड़ा हो रहा था, उसे देखते हुए बेशर्त रिहा किया गया है।
प्रशांत किशोर ने रिहाई के बाद कहा कि पुलिस मुझे बेउर जेल तो लेकर गई, लेकिन उसके पास इस तरह का आदेश नहीं था। इसलिए, यह लोग मुझे जेल के अंदर नहीं ले जा सके। कोर्ट ने मेरी रिहाई के साथ बता दिया कि सरकार या पुलिस-प्रशासन के कुछ ‘हीरो’ टाइप अधिकारी प्रजातांत्रिक सिस्टम को बर्बाद नहीं कर सकते। कोर्ट ने मुझे बेशर्त रिहाई देते हुए यह साफ कर दिया कि गांधी मैदान में प्रदर्शन-अनशन करना कोई गुनाह नहीं, जिसके आधार पर मुझे या मुझ जैसों को गिरफ्तार किया जा सके। पीके ने कहा कि मुझे अंधेरे में जबरिया गिरफ्तार किया गया और उसके बाद बगैर पेपर के एम्स लेकर गए। वहां भी भर्ती नहीं करा सके तो बिहार सरकार के अस्पतालों में ले जाया गया। किसी सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ने पुलिस के दबाव में भी मेरे नाम का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया। अस्पतालों में मुझे कई डॉक्टर मिले, जिन्होंने खुद को जन-सुराजी बताया और छात्रों के साथ खड़े होने पर मेरा साथ दिया। दिनभर पुलिसकर्मियों में भी सैकड़ों जन-सुराजी मिले। उन्होंने कहा कि मेरा अनशन खत्म नहीं हुआ है और यह बीपीएससी परीक्षार्थियों की मांग पूरी होने तक जारी रहेगा।
प्रशांत किशोर ने कहा कि गांधी मैदान में हमलोग पिछले पांच दिनों से शांतिपूर्ण सत्याग्रह कर रहे थे। मैं अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठा था। सोमवार सुबह करीब चार बजे पटना पुलिस आई और कहा कि हमलोगों के साथ चलिए। हमलोग साथ गए। पुलिसवालों को व्यवहार अच्छा रहा। प्रशांत किशोर थप्पड़ विवाद का भी खंडन किया है। उन्होंने कहा कि थप्पड़ मारने की बात गलत है। मेरे एक साथ ने उत्साह में मेरा हाथ पकड़ा था। पुलिस हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। पुलिस से हमारी कोई लड़ाई नहीं है। गांधी मैदान से पटना पुलिस मुझे पटना एम्स लेकर गई। वहां डेढ़ घंटे तक बैठाकर रखा गया। एम्स प्रबंधन ने मुझे भर्ती लेने से मना कर दिया। इसके बाद पटना पुलिस तीसरी जगह ले जाने की कोशिश करने लगे।
प्रशांत किशोर ने कहा कि पटना एम्स से निकले के बाद से पुलिस का व्यवहार गलत हुआ। पुलिस करीब साढ़े पांच बजे से 11 बजे तक अलग-अलग जगहों पर मुझे घुमाती रही। मैं बार-बार पूछता रहा लेकिन मुझे सच नहीं बताया गया। वह मुझे पीएमसीएच और एनएमसीएच में ले जाने की बात कहते रहे। करीब पांच घंटे के मुझे फतुहा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच के लिये लेकर गए। यहां मैंने डॉक्टर से कहा कि मैं पिछले पांच दिन से अनशन पर बैठा हूं। मैंने डॉक्टरों को परीक्षण की इजाजत नहीं दी। पुलिसवालों ने परीक्षण का सर्टिफिकेट गैरकानूनी तरीके से लेने की कोशिश की। लेकिन, डॉक्टरों ने सर्टिफिकेट नहीं दिया। इसके बाद मेरा बयान रिकॉर्ड किया गया। इसके बाद अलग-अलग रास्तों से घुमाकर सिविल कोर्ट लाया गया।
प्रशांत किशोर ने कहा कि कोर्ट में केस की सुनवाई के बाद मुझे जमानत दे दी गई। लेकिन, एक पीआर बॉन्ड भरने की शर्त रखी। इसमें लिखा था कि आप फिर से ऐसा गलत काम नहीं करेंगे। मैंने इसे स्वीकार नहीं किया और जेल जाना कबूल किया। मैंने ऐसा इसलिए किया क्यों कि अगर बिहार में युवाओं और महिलाओं पर लाठी चलाना जायज है और उसके खिलाफ आवाज उठाना जुर्म है तो मैंने जेल जाना स्वीकार करता हूं। अगर गांधी मैदान में अपनी बात रखना गुनाह है, जिस बिहार में गांधी जी ने सत्याग्रह किया, अगर यहां ऐसा करना गुनाह है तो मैं जेल जाना स्वीकार करता हूं। मेरे अनशन कार्यक्रम में कोई परिवर्तन नहीं होगा। पिछले पांच दिन से मैं सिर्फ पानी पर हूं। जब तक नीतीश सरकार इसका रास्ता नहीं निकालेगी तब तक मैं जेल में अनशन पर ही रहूंगा।
प्रशांत किशोर ने समर्थकों से कहा कि आपलोगों से अपील है कि आपलोग पुलिस का सहयोग कीजिए। किसी भी पुलिसकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की मत कीजिए। यह लोग ड्यूटी कर रहे हैं। इन्हें ऊपर से लाठी चलाने का आदेश दिया गया है।
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