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बाबा साहेब से तल्खियां

कमलेश पासवान

भारत के पवित्र संविधान के स्वर्णिम 75 वर्षो की यात्रा बहुत कुछ उतार-चढ़ाव को समेटे हुए है। अगर हम वर्तमान कालखंड को देखें तो भारतीय लोकतंत्र और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने वाली नरेन्द्र मोदी की सरकार ने संविधान की पवित्रता को बनाए रखते हुए उसे जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया है।

हमारी सरकार की कार्य पद्धति के कारण  संविधान अब केवल न्यायिक दस्तावेज भर नहीं रह गया है अपितु जन आकांक्षाओं की पूर्ति का सबसे सशक्त माध्यम बना है।

इससे इतर व्यापक तौर पर देखें तो जबसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने सत्ता की कमान संभाली है, लोकतांत्रिक मूल्यों व सिद्धांतों को मजबूती प्रदान की है और बाबा साहेब के विचारों, उनके आदशरे को हर स्तर पर  सम्मान दिया है तथा उसका संरक्षण भी किया है। विगत दिनों संसद में संविधान के गौरवशाली 75 वर्ष की यात्रा पर दोनों सदनों में विस्तृत चर्चा की पहल प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने की। इस चर्चा ने देशवासियों को संविधान के उन अनछुए पहलुओं से भी रूबरू कराया, जिसके बारे में कम लोगों को ही जानकारी थी। मुझे यह पूरी उम्मीद है कि संविधान पर ऐसी व्यापक, समृद्ध चर्चा पहले कभी नहीं हुई है। यह हमारी सरकार का संविधान और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के प्रति निष्ठा एवं श्रद्धा ही है कि हम देश भर में संविधान के बारे में जागरूकता फैलाने का बड़ा अभियान चला रहे हैं।

गौरतलब है कि आज बाबा साहेब अंबेडकर जी का नाम लेकर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करने वाली कांग्रेस पार्टी का पूरा इतिहास ही संविधान, बाबा साहेब, दलित और पिछड़ा विरोधी रहा है। कांग्रेस पार्टी चाहे जितना बाबा साहेब को लेकर झूठ फैलाने का प्रयास करें, परंतु स्वयं बाबा साहेब ने ही कांग्रेस को लेकर ये बात कही थी कि ‘कांग्रेस पार्टी में शामिल होना आत्मघाती होगा।’ बाबा साहेब कांग्रेस की कुनीति, कुरीति और कुंठित मानसिकता को बहुत पहले समझ गए थे।  उल्लेखनीय होगा कि जिस कांग्रेस पार्टी की नेहरू सरकार की कैबिनेट से बाबा साहब ने इस्तीफा दिया था और उन्होंने दलित और पिछड़ा वर्ग के संबंध में सरकार के रवैये के कारण आजीवन कांग्रेस का विरोध किया, वही कांग्रेस पार्टी आज खुद को ऐसा प्रचारित कर रही है जैसे बाबा साहेब की सबसे बड़ी समर्थक वही है। बल्कि हकीकत यह है कि कांग्रेस ने हर मौके पर बाबा साहेब को अपमानित करने का पाप किया है। इतिहास में कई ऐसी घटनाएं हैं जो बताती हैं कि कांग्रेस पार्टी ने कैसे बाबा साहेब के व्यक्तित्व और कृतित्व को कमतर करने की कोशिश की है। एक परिवार के लिए ‘भारत रत्न’ समर्पित कर देने वाली कांग्रेस पार्टी को बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न  देने का विचार कभी आया ही नहीं। कांग्रेस को इस बात का जवाब देना चाहिए कि क्या कांग्रेस बाबा साहब को भारत रत्न की हकदार नहीं मानती थी?

यही नहीं बाबा साहब संसद तक कैसे न पहुंच सके, इसके लिए अनेकों षड्यंत्र करने वाली कांग्रेस अचानक उनकी सबसे बड़ी हिमायती बनने का ढोंग कर रही है। दिल्ली में एक परिवार के सभी सदस्यों की समाधि बनी हुई, पर क्या कांग्रेस की सरकारों ने बाबा साहब अंबेडकर के लिए कोई समाधि या स्मारक बनाना जरूरी नहीं समझा? ये कांग्रेस की बाबा साहेब को लेकर नफरत भरी मानसिकता का बड़ा प्रमाण है। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा साहेब अंबेडकर जी को उचित सम्मान दिलाने के लिए बाबा साहेब की स्मृतियों से जुड़े स्थानों को  पंच तीर्थ के रूप में  निर्माण, दिल्ली में विस्तरीय अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर सहित उनसे जुड़े स्थलों को विकसित कर उनका सम्मान बढ़ाने का काम किया। इतना ही नहीं पिछड़े वगरे के उत्थान पर केंद्रित मंडल कमीशन से लेकर काका कालेलकर की रिपोर्ट को अटकाने में भी सबसे अग्रणी कांग्रेस पार्टी रही है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मंडल कमीशन और ओबीसी आरक्षण के खिलाफ 6 नवम्बर, 1990 को लोक सभा में ढाई घंटे का भाषण दिया था और यही लोग आज पिछड़ा वर्ग के हितैषी बनने की बात कर रहे हैं। मगर, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी, तब जाकर ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया गया।

संविधान की प्रति को अपनी जेब में लेकर घूमने वाली कांग्रेस की सरकारों की नीयत कभी ‘संविधान दिवस’ जैसा कुछ मनाने की थी ही नहीं। देश में ‘संविधान दिवस’ मनाने की शुरु आत 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने की। जिस कांग्रेस पार्टी ने देश पर आपातकाल थोपकर अपनी सत्ता बचाने के लिए संविधान की आत्मा पर हमला किया हो, जिन्होंने 90  से ज्यादा बार अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग कर लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकारों को अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए बर्खास्त कर दिया हो और जो कि जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री रहते हुए ऐसा कहते हैं कि, ‘अगर संविधान हमारे रास्ते के बीच में आ जाए तो हर हाल में संविधान में परिवर्तन करना चाहिए।’ ऐसे लोग ‘संविधान रक्षक अभियान’ मना रहे हैं, यही सबसे बड़ी विडम्बना है। हकीकत तो यह है कि कांग्रेस पार्टी ने संविधान और बाबा साहब को कभी उचित सम्मान देना उचित नहीं समझा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की ओर हम बढ़ रहे हैं, और इसमें बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा निर्मिंत संविधान की मूल भावना को केंद्र में रखा गया है। बाबा साहेब ने समानता, सामाजिक न्याय और समावेशिता के सिद्धांतों पर आधारित भारत की परिकल्पना की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने इन आदशरे को ध्यान में रखते हुए सामाजिक और आर्थिक नीतियों को आगे बढ़ाया है। चाहे गरीबों के लिए ‘आयुष्मान भारत’ जैसी स्वास्थ्य योजनाएं हों, ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत हर व्यक्ति को घर उपलब्ध कराने का लक्ष्य हो, ‘स्टैंड अप इंडिया’ और ‘मुद्रा योजना’ जैसी योजनाओं के माध्यम से हाशिये पर खड़े समुदायों को सशक्त बनाना-इन सबके केंद्र में बाबा साहेब की समानता और गरिमा के आदर्श हैं।

(लेखक केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री हैं। विचार निजी हैं)

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