नई दिल्ली (ईएमएस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को दिव्यांगों के लिए सहानुभूति, समावेशिता और समान अवसरों की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि उनका सशक्तिकरण समाज और सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी है। राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में दिव्यांगों के कल्याण के लिए काम करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित किया। उन्होंने यह भी कहा कि दिव्यांगों को लेकर नजरिए में बदलाव की जरूरत है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, उन्हें दया नहीं, सहानुभूति चाहिए। उन्हें खास ध्यान नहीं, बल्कि स्वाभाविक प्यार चाहिए। राष्ट्रपति ने समाज से आग्रह करते हुए कहा, हम एक ऐसी दुनिया बनाएं, जो दिव्यांगजनों को बराबरी और इज्जत दे। उन्होंने यह भी कहा कि दिव्यांग होना कोई कमजोरी नहीं, बल्कि एक विशेष परिस्थिति है, जिसके लिए अलग तरह के समर्थन की जरूरत होती है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए खास प्रशिक्षण, सलाह और सुविधाएं दी जानी चाहिए। सरकार उनके भले के लिए काम कर रही है। समाज को भी उनकी भागीदारी को महत्व देना चाहिए।
उन्होंने दिव्यांगों की विभिन्न क्षेत्रों में अद्वितीय उपलब्धियों की भी सराहना की, खासकर खेलों में। मुर्मू ने कहा, 2012 के पैरालिंपिक में भारत ने केवल एक पदक जीता था। जबकि 2024 में दिव्यांगों के प्रति जागरूकता और समर्थन के कारण हमारे खिलाड़ियों ने 29 पदक जीते। यह प्रगति हमारी दिव्यांगों के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता और उनके सशक्तिकरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, दिव्यांगो के लिए ऐसी सुविधाएं बनायी जानी चाहिए, जिनका वे आसानी से इस्तेमाल कर सकें। दिव्यांगों के लिए जीवन को आसान बनाना समाज की प्रगति का एक महत्वपूर्ण पैमाना है। एक संवेदनशील समाज में सभी के लिए समान अवसर और बिना किसी रुकावट के पहुंच सुनिश्चित की जाती है।
उन्होंने सुगम्य भारत अभियान का उदाहरण देते हुए सरकार के प्रयासों की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहा, विभिन्न मंत्रालय और विभाग एक साथ मिलकर दिव्यांगों के लिए पहुंच में सुधार लाने के लिए काम कर रहे हैं। मैं उनसे आग्रह करती हूं कि वे एकजुट होकर दिव्यांगों के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए काम करें।
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