गेजिंग : जिले के आरिगांव स्थित संचमान लिंबू गवर्नमेंट कॉलेज ने 2.65 सीजीपीए की मान्यता के साथ ही बी प्लस ग्रेड की उपलब्धि प्राप्त की है। हाल ही में संपन्न एनएएसी के दौरे के बाद कॉलेज को यह दर्जा प्रदान किया गया है। गौरतलब है कि 2018 में सी ग्रेड (प्रथम चक्र) से अपग्रेड किये जाने के बाद कॉलेज को अब बी प्लस ग्रेड (द्वितीय चक्र) में अपग्रेड किया गया है, जो जिले में समाज के वंचित वर्गों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचने के मामले में संस्थान के लिए एक मील का पत्थर है।
संस्थान की ओर से बताया गया है कि 2018 के बाद 5 वर्षों में कॉलेज का काफी विकास हुआ है और इसने विभिन्न क्षेत्रों में नये पाठ्यक्रम शुरू किये गये है। इनमें राजनीति विज्ञान में पीजी प्रोग्राम, बीकॉम प्रोग्राम, सिक्किम के एकमात्र 5जी लैब स्थापना, उद्यमी विकास केंद्र, पेपर रीसाइक्लिंग प्लांट, ऑनलाइन रेडियो स्टेशन जैसे पहल शामिल हैं।
जानकारी के अनुसार, मान्यता प्रदान करने के अंतिम दौर में एनएएसी की एक टीम ने संचमान लिंबू गवर्नमेंट कॉलेज का दौरा किया था। इस टीम में एनएएसी अध्यक्ष एवं महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी, बिहार के प्रो-वाइस चांसलर डॉ गोपाल रेड्डी, सदस्य संयोजक सह एपीएस विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के प्रोफेसर डॉ राजीव दूबे और सदस्य सह पीसी कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंस गोवा के प्रिंसिपल डॉ नंदकुमार सावंत शामिल थे।
टीम ने साइट सत्यापन के लिए एसएलजी कॉलेज का दौरा किया। इस दौरान, प्रिंसिपल डॉ किशोर कुमार राई, आईक्यूएसी निदेशक डॉ केसांग वांगमू भूटिया ने फैकल्टी सदस्यों के साथ विभिन्न परिसर गतिविधियों का प्रदर्शन किया और एनएएसी सहकर्मी टीम को परिसर के बुनियादी ढांचे का दौरा करवाया।
इस दौरान, टीम सदस्यों ने कॉलेज की सुविधाओं को भी देखा और वैकल्पिक ऊर्जा पहल, वर्षा जल संचयन, कागज रीसाइक्लिंग और स्वास्थ्य फिटनेस क्लब की समीक्षा की। साथ ही, शिक्षण व गैर-शिक्षण सुविधाओं, पूर्व छात्रों, अभिभावकों और छात्रों के साथ एक सत्र भी आयोजित किया गया। वहीं, कॉलेज की इस उपलब्धि पर कॉलेज प्रबंधन की ओर से सिक्किम सरकार को धन्यवाद दिया है।
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा वित्त पोषित एनएएसी कॉलेजों और उच्च शिक्षा संस्थानों को मान्यता प्रदान करने वाला संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य संस्थानों के बीच शिक्षा की गुणवत्ता की स्थिति के बारे में समझ पैदा करना है। यह संघीय और राज्य द्वारा वित्त पोषण कार्यक्रमों को भी शामिल करता है और इसके द्वारा प्रदान की गई मान्यता पांच साल की अवधि के लिए वैध है।
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