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गहन विचार विमर्श के बाद औपनिवेशिक युग के अपराध कानून किए गए खत्‍म : अक्षय सचदेवा

पत्रकारों व कानून के छात्रों को नए आपराधिक कानूनों के बारे में दी गई जानकारी

गंगटोक । सिक्किम के पत्रकारों और कानून के छात्रों को तीन नए आपराधिक कानूनों-भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-के बारे में जानकारी देकर जागरूक बनाने हेतु आज यहां पीआईबी गंगटोक द्वारा ‘वार्तालाप’ नामक एक मीडिया कार्यशाला आयोजित की गई।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित सिक्किम पुलिस के स्पेशल डीजीपी (कानून-व्यवस्था) अक्षय सचदेवा ने पुरानी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर इस वर्ष 1 जुलाई से लागू हुए कानूनों पर मुख्य भाषण दिया। लोगों की भारी उपस्थिति वाले इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्पेशल डीजीपी ने बताया कि क्यों औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों को पांच साल के गहन विचार-विमर्श के बाद, पीड़ितों को न्याय प्रदान करने के साथ ही समकालीन सामाजिक चुनौतियों के समाधान की दिशा में नए आपराधिक कानूनों द्वारा प्रतिस्थापित किया गया।

अक्षय सचदेवा ने बताया कि पुलिस, सरकारी अभियोजकों, अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों को शिकायतकर्ताओं को उनकी एफआईआर की स्थिति, आरोप तय करने और फैसला सुनाने के बारे में अपडेट करने के लिए निश्चित समय-सीमा दी गई है जिससे अंतत: समाज का हित सुनिश्चित होता है। उन्होंने नए आपराधिक कानूनों में ई-एफआईआर, जीरो एफआईआर, सामूहिक बलात्कार को लिंग-तटस्थ अपराध के रूप में मानने, सबूतों का डिजिटलीकरण और फोरेंसिक साक्ष्यों को दिए जाने वाले महत्व जैसे अन्य सुधारात्मक प्रावधानों के बारे में बताया।

इसके साथ ही, स्पेशल डीजीपी ने नए कानूनों में भीड़ द्वारा हत्या और महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए कड़ी सजा के प्रावधान पर भी प्रकाश डाला। वहीं, उन्होंने नए आपराधिक कानूनों के बारे में मीडिया कर्मियों द्वारा उठाए गए प्रश्नों का जवाब देते हुए कानूनी सुधारों के बारे में जन जागरूकता को बढ़ावा देने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों और मीडिया के बीच स्पष्ट संचार और सहयोग के महत्व को रेखांकित किया।

कार्यक्रम में सिक्किम केंद्रीय विश्वविद्यालय के विधि विभाग के प्रमुख प्रो प्रवीण मिश्र ने भी नए आपराधिक कानूनों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने नए आपराधिक कानूनों को विभिन्न हितधारकों के साथ पांच वर्षों तक चली गहन चर्चा का परिणाम बताया और इन दावों को खारिज कर दिया कि ये कानून जल्दबाजी में बनाए गए हैं। उनके अनुसार, ये नए आपराधिक कानून पीड़ितों की चिंताओं को संबोधित करते हैं, जो अक्सर 15-20 वर्षों तक चलने वाले लंबे मामलों के कारण व्यवस्था में विश्वास खो रहे थे। ऐसे में अब, पुलिस और न्यायपालिका सहित शामिल प्रत्येक एजेंसी के लिए स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित की गई है।

इस अवसर पर प्रेस क्लब ऑफ सिक्किम के अध्यक्ष भीम रावत ने सिक्किम के स्थानीय पत्रकारों के लाभ के लिए इस महत्वपूर्ण विषय पर मीडिया कार्यशाला आयोजित करने के लिए पीआईबी गंगटोक को धन्यवाद दिया। इससे पहले, पीआईबी गंगटोक के सहायक निदेशक और आकाशवाणी गंगटोक के क्षेत्रीय समाचार इकाई प्रमुख डॉ. इबोमचा शर्मा अरिबम ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में स्थानीय मीडिया बिरादरी और सिक्किम केंद्रीय विश्वविद्यालय के कानून के छात्रों ने भाग लिया।

#anugamini #sikkim

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