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ट्रायल में देरी पर वीडी सतीशन का फूटा गुस्सा, बोले- न्याय में देरी न्याय न मिलने के बराबर

तिरुवनंतपुरम (एजेन्सी) । केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता वीडी सतीशन ने अभिनेत्री के शोषण मामले में ट्रायल में हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि इससे लोगों का न्यायपालिका में भरोसा घटेगा। सतीशन ने केरल हाईकोर्ट से अपील की कि वह साल 2017 के मामले के ट्रायल में हो रही देरी की समीक्षा करे। सतीशन की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के मुख्य आरोपी सुनील एनएस को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनील एनएस को जमानत देने का आदेश दिया। इस मामले में आरोपी अभिनेता दिलीप को पहले ही जमानत मिल चुकी है। कांग्रेस नेता ने मीडिया से बात करते हुए न्यायिक प्रक्रिया पर कहा कि ‘अभिनेत्री के शोषण का मामला बीते साढ़े सात साल से खिंच रहा है। इसके चलते मामले के आरोपियों को जमानत मिली है।’ सतीशन ने कहा कि ‘यह देरी लोगों के न्यायपालिका में विश्वास को घटाएगी। न्याय में देरी न्याय न मिलने के बराबर है।’

उल्लेखनीय है कि तमिल, तेलुगु और मलयालम फिल्मों में काम कर चुकीं एक अभिनेत्री को साल 2017 में कथित तौर पर अगवा कर लिया गया था। इस दौरान आरोपियों ने दो घंटे तक अभिनेत्री के साथ छेड़छाड़ की और बाद में फरार हो गए थे। आरोपियों ने अभिनेत्री को ब्लैकमेल करने के लिए छेड़छाड़ की वीडियो भी शूट की थी। इस मामले में पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार लोगों में अभिनेता दिलीप भी शामिल थे, जिन्हें बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिला अभिनेत्रियों के कथित यौन शोषण के मामले में पेश की गई जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट पर कांग्रेस नेता वीडी सतीशन ने कहा कि राज्य की वामपंथी सरकार इसमें कार्रवाई करना नहीं चाह रही है। कांग्रेस नेता ने कहा कि विपक्ष ने मांग की थी कि हेमा समिति की रिपोर्ट के आरोपों की जांच केवल महिला अधिकारी ही करें, लेकिन सरकार ने इसके बजाय एक मिश्रित टीम का गठन किया। हेमा समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षों की जांच करने के केरल उच्च न्यायालय के निर्देश का हवाला देते हुए, सतीशन ने सरकार से पीड़ितों की गोपनीयता को उजागर किए बिना अपराधियों को कानून के दायरे में लाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार सच्चाई का पक्ष लेने को तैयार नहीं है। सरकार पीड़ितों के साथ नहीं, बल्कि अपराधियों के साथ है। ऐसा लगता है कि सरकार अपराधियों को बचाने की कोशिश कर रही है। हर गुजरते दिन के साथ, यह स्पष्ट होता जा रहा है कि यह सरकार स्वाभाविक रूप से महिला विरोधी है।

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