नई दिल्ली (एजेन्सी) । थोक महंगाई अगस्त महीने में 1.31 फीसदी पर आ गई है। ये इसके 4 महीने का निचला स्तर है। बताया जा रहा है कि रोजाना की जरूरत वाला सामान सस्ता होने से महंगाई में गिरावट देखी जा रही है। इससे पहले जुलाई में थोक महंगाई घटकर 2.04 फीसदी पर आ गई थी। जून में ये 3.36 फीसदी और मई में 2.61 फीसदी पर थी। वहीं अप्रैल में ये 1.26 फीसदी पर थी। इससे पहले 12 सितंबर को रिटेल महंगाई के आंकड़े जारी किए गए थे। अगस्त महीने में रिटेल महंगाई बढ़कर 3.65 फीसदी हो गई है। जुलाई महीने में ये 3.54 फीसदी पर थी।
सब्जियों के महंगे होने से अगस्त महीने में रिटेल महंगाई बढ़ी है। थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक भाव बहुत ज्यादा समय तक उच्च स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए डब्ल्यूपीआई पर लगाम लगा सकती है। जैसे कच्चा तेल ज्यादा महंगा होने की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है।
डब्ल्यूपीआई में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है। हाल ही में हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग के दौरान आरबीआई ने इस वित्त वर्ष के लिए अपने महंगाई अनुमान को 4.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा था। आरबीआई गवर्नर ने कहा था- महंगाई कम हो रही है, लेकिन प्रोग्रेस धीमी और असमान है। भारत की महंगाई और ग्रोथ ट्रैजेक्टरी संतुलित तरीके से आगे बढ़ रही है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना महत्वपूर्ण है कि महंगाई टारगेट के अनुरूप हो।
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