गंगटोक : गंगटोक स्थित केंद्रीय समन्वित कीट प्रबंधन केंद्र द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (भारत सरकार) अंतर्गत फेन्सोंग (काबी ब्लॉक) में 14 जुलाई और नजितम के समीप पटियम गांव (मार्तम ब्लॉक) में 16 जुलाई को किसान क्षेत्रीय विद्यालय का शुभारंभ किया गया। यह 14 सप्ताह का फील्ड स्तर पर आयोजित विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम मुख्यतः धान की खेती करने वाले प्रगतिशील किसानों के लिए तैयार किया गया है।
कार्यक्रम का उद्देश्य धान की फसल में कीट एवं रोग नियंत्रण हेतु रासायनिक मुक्त समन्वित कीट प्रबंधन तकनीकों को बढ़ावा देना है, जिससे खेतों में प्राकृतिक शत्रुओं का संरक्षण हो सके और जैविक खेती को स्थायी रूप से अपनाया जा सके। प्रत्येक कार्यक्रम में 35 से अधिक प्रगतिशील किसानों और राज्य विभागीय अधिकारियों ने भाग लिया। किसान क्षेत्रीय विद्यालयों के माध्यम से किसानों को सीखते हुए खेती की पद्धति से प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिसमें किसान अपने अनुभव साझा करते हैं, फसल पर अवलोकन करते हैं, चर्चा करते हैं और समाधान खोजते हैं।
कार्यक्रम का संचालन सीआईपीएमसी द्वारा किया जा रहा है। इसका उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक जानकारी और कौशल से सशक्त बनाना है ताकि वे स्वयं अपने खेतों के विशेषज्ञ बन सकें, सही निर्णय ले सकें, समस्याओं को हल करने की नई सोच विकसित कर सकें और सामूहिक रूप से सामाजिक व आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें। सीआईपीएमसी के उप निदेशक एवं कार्यालय प्रमुख डॉ ए चक्रवर्ती ने कार्यक्रम में आईपीएम की उपयोगिता और कम लागत में कीट नियंत्रण के विकल्पों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि आधुनिक कीट प्रबंधन तकनीकों को अपनाकर फसल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है और कीटों व रोगों से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। सहायक पौध संरक्षण अधिकारी आर लेप्चा ने क्षेत्र में पाए जाने वाले प्रमुख कीटों और उनकी रोकथाम हेतु उपयुक्त आईपीएम उपायों पर चर्चा की। दोनों गांवों के किसान और राज्य विभाग के अधिकारियों ने कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक भाग लिया और उपयोगी चर्चा की। उम्मीद है कि इस प्रशिक्षण के पश्चात किसान स्वस्थ फसल उगाने और अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सक्षम होंगे।
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